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Showing posts from May, 2019

जज़्बात तेरे

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Pic Courtesy : Google जज़्बात तेरे, जज़्बात मेरे ख़ामोशी की चादर ओढ़े रात के अँधेरे में तारों की मौजूदगी में तू बारिश की बूँदो की तरह तू धड़कते दिल की रफ़्तार की तरह प्यार सिखाती, रिश्ते संजोती जब देखो ख़ुशियाँ बांटती तू चाँद की गूँज सी तू सर्दी की धूप सी तू समुन्दर, तू ही आसमान तू मुक़द्दर, तू ही जहान  कितना कुछ है कहना मुझे कितना कुछ है सुनना तुझे मेरी ख़ामोशी को ग़ौर से सुन हर साँस में है तेरे नाम की धून मोहब्बत दोनों को है एक समान चुप्पी आ गयी जैसे बिन बुलायी मेहमान आँखो से मेरे तू सच पढले दिल के विराने में  तू  घर कर ले अकेलेपन के तिमिर से  तू  मुझे बचाले ज़िंदगी के सफ़र में आ मेरा साथ निभाले जज़्बात तेरे, जज़्बात मेरे ख़ामोशी की चादर ओढ़े

आख़िरी मंज़िल

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कुछ दफ़न है, कुछ को दफ़नाने हैं, आख़िर आख़िरी मंज़िल पर सभी को ही जाना है। ना वक़्त गुज़रता ना पाने बहता ना ख़ाने की  भूख ना पानी की प्यास ना इन्तज़ार का दर्द  ना प्यार का सूख ना पापा की डाँट फटकार ना माँ का दूल्हार ना पढ़ाई का प्रेशर ना बॉर्ड इग्ज़ैम का स्ट्रेस आग की लिपटो से ज़िन्दगी छोटी लगने लगी दूसरों की गलतीं की सज़ा हमें हमारी मौत से देनी पड़ीं। कुछ दफ़न है, कुछ को दफ़नाने हैं, आख़िर आख़िरी मंज़िल पर सभी को ही जाना है|