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ज़ात बनी औक़ात

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Pic Courtesy: Google ज़ात बन बैठी भगवान, होगा कैसे देश का निर्माण? छूआछूत की भिन्नता, १०० साल से यही एक समानता | पढेगा तो बढ़ेगा, लगाए देश वासी नारे, लेकिन अच्छी सोच लाने में यहाँ सभी है हारे | उनकी आवाज़ को ज़ात दबाए,  फिर कैसे देश जनतंत्र का इतिहास बनाए? झाड़ू से उनकी पहचान बनायी, ख़ुद पे कभी ना आने दे उनकी परछाईं | कूदा कचरा सब करके साफ़, बनाया उन्होंने देश को खास | फिर क्यूँ है यह भेदभाव? क्यूँ उन्हें माना जाता है नाचीज़ और अभाव? रूको, सोचो, ग़ौर फ़रमाओ, तुम भगवान नहीं के ऐसे पेश आओ!